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गीत(मधुर मिलन)

गीत(मधुर मिलन)
मधुर मिलन का प्रेम जगा है,
प्रिय को पाकर सावन में।
खुशियों से ही रातें कटतीं,
उनके मन बहलावन में।।

बिजली चमके,बादल गरजें,
रिम-झिम बारिश भाती है।
सावन की हरियाली रह-रह,
प्रीति-भाव उकसाती है।
उनको मिलता सुख अपार है,
साजन साथ निभावन में।।
     उनके मन बहलावन में।।

सजनी-साजन दोनों के दिन,
हरियाली से हरे हुए।
मधुर मिलन की खुशियों से ही,
तन-मन दोनों भरे हुए।
बीत रहा आनंदित जीवन,
सावन-कजरी गावन में।।
     उनके मन बहलावन में।।

बहुत दिनों से प्यासे दो दिल,
इस सावन में गले मिले।
प्रेम-पुष्प जो थे मुरझाए,
एक-एक कर सभी खिले।
खिल जाती हैं कलियाँ सारी,
सावन मस्त सुहावन में।।
      उनके मन बहलावन में।।
 
उनका सावन शुभकर होता,
जिनके प्रेमी मिलते हैं।
प्रकृति सुंदरी की शोभा लख,
बादल उमड़ बरसते हैं।
शुभ-शुभ सावन सबका बीते,
जीवन आवन-जावन में।।
      उनके मन बहलावन में।।
              ©डॉ0हरि नाथ मिश्र
                  9919446372

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3 Comments

Wahhhh,,, बहुत ही सुंदर और बेहतरीन गीत

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वानी

12-Jun-2023 07:03 PM

Nice

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बहुत सुन्दर

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